अल्फाज़ की शक्ल में एहसास #लिखा जाता है, यहाँ पर पानी को प्यास लिखा #जाता है, मेरे जज़्बात #वाकिफ से है मेरी कलम भी, प्यार लिखूं तो तेरा नाम लिखा @जाता है।
हम अपने इख़्तियार की हद से #गुजर गए, चाहा तुम्हें तो प्यार की हद से #गुजर गए, जागी है अपने दिल में गुलाबों की आरज़ू, जब मौसम-ए-बहार की हद से #गुजर गए।
धोखा ना देना कि तुझपे ऐतबार #बहुत है, ये दिल #तेरी चाहत का तलबगार #बहुत है, तेरी सूरत ना दिखे तो दिखाई कुछ नहीं #देता, हम क्या करें #कि तुझसे हमें प्यार #बहुत है।